Saturday, December 5, 2009

आंसू

कहते है आंसू बरबस ही टपक पड़ते है ... मगर भाई हर आंसू एक संदेश देता है ... आंसू एक बेनामी ख़त है ... जिसे मिल जाए और समझ जाए वही उसका पाठक होता है ... आँखें इसकी गवाही नहीं देती की ...आंसुओं का रंग कैसा था ... आंसू एक ग्रन्थ ... है जो पढ़ ले वही विद्वान है ।
........................................................आंसू ...................................................
मैंने देखा है अश्कों को सिसकते हुए
एक चाह में ...
किसी के इंतजार में ।
जो कराता है उसकी पहचान
लेकिन सिमटे हुए
एक रंग में ...
इस आस में की
हर मुस्कान की भी एक उम्र होती है ।

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