मैंने देखा है कैक्टस के फूलों को ...
कुछ सहमे हुए से
मगर एक आत्म विश्वास के साथ ...
काँटों के दर्द से बेपरवाह
हवा के हर झोंके का एहसास करते ...
लेकिन ...
हद में किसी का इंतजार करते
की शायद कोई पहचान ले खुशबू उसकी ...
और कर दे आजाद
काँटों के अलबेले बंधन से
बस मैंने देखा है ... कैक्टस के फूलों को किसी का इंतजार करते ।
Saturday, July 25, 2009
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